कोरोना भ्रष्टाचार का बाल भी बांका नहीं कर पाया।






जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत एक ऐसा देश है, जहां भ्रष्टाचार की जड़े आजादी से पहले ही आजाद हो गई थी, और आजादी के बाद इस दैत्य के पंख लग गए। 

आज भी भ्रष्टाचार इतना हिम्मतवान है कि किसी भी जगह आप आसानी से देख सकते हैं।

सरकारी दफ्तर तो जैसे इसीलिए बने होंगे। मैं आपको खुद के साथ घटी घटना के संदर्भ में बताता हूँ।

मैंने 2 जनवरी 2020 को बिजली का कनेक्शन लगवाया था। जिससे लगने से पहले बिजली विभाग कीर्तिनगर ने 1000 रुपये जमा करने के बाद ही कनेक्शन लगाने की बात  कर मुझ से 1000 रुपये लीये


बाद में, कनेक्शन लगाने पर बोला गया की कनेक्शन की प्रक्रिया थोड़ा लंबी होती है। इसलिए रसीद अभी नही मिल पाएगी।

बाद में रसीद दी जाएगी। 15 दिन बाद में फिर अपनी गाड़ी से कीर्तिनगर बिजली विभाग पहुँचा। 

वरिष्ठ कर्मचारियों, जिनसे कि मैं परिचित पहली बार हुआ,  रसीद में देर होने का कारण पूछा। 

तो जवाब दुबारा मिला कि प्रोसेसिंग में है UCPL से अपडेट होने में काफी बक्त लगता है। 

उसके बाद एक महीना गुजरा, कोरोना शुरू हुआ। फिर जैसे ही थोड़ा ढील मिली। मैंने मीटर पर रीडिंग पढ़ी 270 kwh लिखा था। 

मुझे चिंता हुई कि कोरोना काल मे जेब खाली है काम काज बंद है। बिजली का बिल नहीं आया। 

फिर जैसे तैसे गाड़ी में पेट्रोल भरवाया कीर्तनगर पहुचा। अब मेरी मुलाकात विभाग के दूसरे कर्मचारियों से हुई। उन्होंने मुझे बताया कि हमारा 

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