परम पिता परमेश्वर
वही भगवान के बारे में समझा रहा जिसने भगवान को जाना ही नहीं।
दुनिया में भगवान के होने का विज्ञान ने हमेशा विपरीत जवाब दिया है। तो आप क्या मानते हो? वो आप जानो।
मेरा मानना है की हमारे लिए भगवान के अस्तित्व का स्वीकार या अस्वीकार होना विज्ञान के नियमों से परे है।
विज्ञान प्रकृति अथवा तत्व से निर्मित सम्पूर्ण ब्रह्मांड को भली भांति वैज्ञानिक ढंग से विवेचना करता है।
लेकिन तत्व और प्रकृति से परे विज्ञान शून्य है। और भगवान उसी शून्य से अस्तित्व में आए। और उसी शून्य में उस परमात्मा का आदि है और वही उनका ऑफिस है।
1- भगवान के बारे में जैसा सिरियल के माध्यम से बताया जाता है वास्तव मैं भगवान कोई भी काम वैसे नहीं करते और न ही भगवान उस तरह से काम करते हैं।
2- ये बात उचित और सही है की भगवान भक्ति से प्रसन्न होते हैं।
स्पष्ट है की भगवान सब कुछ व्यवस्थित करते हैं इसलिए उनके कार्य करने की गति , विधि, और स्थिति मनुष्य की सोच और समझ से लगभग पूर्ण तरह परे है। इसलिए थोड़ा-बहुत जो कुछ भी मनुष्य समझ पाता है उसे लोगों के बीच अपने ढंग से समझाने की कोशिश करता है।
मानव समाज को जो सोचने और समझने की जरूरत है वो यही है की आज आपके पास तकनीक है जिसके माध्यम से आप उस पारब्रहम परमेश्वर की गति , विधि और स्थिति को थोड़ा अनुकूल बना कर पेश कर सकते हो।
The edition will be continued soon
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